हरि कंथारिया क्षैत्र की हरी भरी पंचायत – कंथारिया
उदयपुर जिले का कश्मीर कहा जाने वाला झाडोल तहसील क्षेत्र जहां एक और कमलनाथ का आस्था का जंगल दूसरी ओर देवास का अथाह जल भण्डार वही फुलवारी की नाल सेन्चुअरी साथ ही हरि कंथारिया का हरा भरा क्षैत्र। हरि कंथारिया तीन पंचायतों का एक क्षैत्र है ज्यों हरे-भरे जंगलों और हरि भरी व्यावसायिक खेती के लिए प्रसिद्ध हैं। कंथारिया में एक बड़ा तालाब हैं जिससे पूरे हरि क्षैत्र में सिंचाई होती हैं।
राजनैतिक परिचय:-
हरि क्षैत्र की ग्राम पंचायत कंथारिया का गठन वर्ष 1961-62 में किया गया यह झाडोल क्षैत्र की प्रथम नवगठित पंचायत में से एक हैं यहां के प्रथम सरपंच रतनसिंह राणावत थे उनके बाद प्रभुलाल जैन, शंकर सिंह राणावत, भंवरलाल धलोविया प्रशासक काल एवं 73 वें पंचायतीराज संविधान संशोधन की आरक्षण व्यवस्था के बाद 1995-2000 तक कमला देवी 2000-2005 तक रुपलाल वाहिया 2005-2010 तक शांतिलाल गोरणा एवं 2010-से वर्तमान तक पुनः रुपलाल वाहिया सरपंच चुने गये।
पंचायत अवस्थितिः-
यह पंचायत झाडोल तहसील मुख्यालय से 20 किमी दूर एवं जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर स्थित हैं। इस पंचायत में कुल 6 राजस्व गांव 1. कंथारिया 2. अदकालिया 3. पारेवी 4. नला बडा 5. नला छोटा 6. खरडिया है। उक्त 2 गांव कंथारिया, अदकालिया को छोडकर शेष गांवों में शत प्रतिशत जनजाति आबादी है। ग्राम पंचायत कंथारिया की सन् 2001 की जनसंख्या 6047 थी जिसमें 15 (sc)4421 (st) 1575 (other) जन थे। वही 2011 में बढकर 8786 हो गई हैं। जनसंख्या वृद्धिदर (14 %) रही।
आधारभूत सुविधाऐ
ग्राम पंचायत भवन कार्यालय के अलावा राजीव गांधी सेवा केन्द्र, आयुर्वेद औषधालय, 3 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 1 पटवार मण्डल, कृषि पर्यवेक्षक कार्यालय, डाकघर, मीनी लेम्पस् कार्यालय खुले हैं।
वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना एवं मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना से 5 गांव सडक मार्ग से जुड गए है। एक गांव पारेवी जुडना शेष है।
शिक्षा का स्तरः
एक सैकण्डरी स्कुल कंथारिया 3 मिडिल स्कुल, 5 प्राथमिक स्कुल, 4 शिक्षाकर्मी विद्यालय है। 0-6 वर्ष बच्चों के लिए 7 आंगनवाडी केन्द्र हैं।
पेयजल:-
ग्राम पंचायत क्षैत्र पेयजल स्त्रोत निजी कूप हेण्डपम्प, एवं पनघट तथा 2 जनता जल योजना हैं।
सामाजिक जीवनः-
पंचायत में 7-8 प्रकार जी जातियां निवासरत है। जिनमें सर्वाधिक जनसंख्या जनजाति हैं जो भील समुदाय से सम्बन्ध रखते है।
इन्हें आदिवासी भी कहा जाता है। शेष प्रमुख जाति में पटेल हैं उक्त समाज खेतीहार होकर मेहनती समाज है। खेती एवं पशुपालन का इन्हें अच्छा ज्ञान है। शेष में लौहार मेघवाल, जैन, कलाल, राजपुत हैं इनका पेशा भी खेती और पशुपालन है जैन परिवार व्यापार करते है। ग्राम पंचायत में कुल 1578 परिवार हैं जिनमें बीपीएल 1085 एवं 493 गैर बीपीएल है। अधिकांश परिवारों का जीवन स्तर मध्यम स्तर का है। खान-पान में गेहूॅ और मक्का प्रमुख है।
सभी लोग तीज त्यौहार , गवरी मिलकर मनाते हैं।छोटे-मोटे लडाई-झगडे स्थानीय पंचायती कर निपटा देते है। स्थानीय पंचायती करने वाले को ’’ कादरिया’’ कहा जाता है। इस क्षैत्र में मौताणें जैसी कुप्रथा भी हैं। इस पर गहन चिन्तन कर इस प्रथा को समाप्त करने की आवश्यकता है।
व्यावसायिक जीवनः-
इस क्षैत्र की मिट्टी काफी उपजाऊ है। इसलिए यहां खेती काफी अच्छी होती हैं एवं व्यावसायिक है। जिसमें अरवी, रतालू, अदरक, धनिया, लहसून, की खेती होती है। यहां पर वनों का विस्तार काफी अच्छा है। यहां के लोग वनों की सुरक्षा स्वयं वन सुरक्षा समिति बनाकर करते है। आदिवासी परिवारों की निर्भरता ज्यादातर वनों पर निर्भर है।
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